“रोको ,मत जाने दो ।” ” रोको मत, जाने दो ।”

उपरोक्त दोनों वाक्यों में समान ही शब्द लिखे गए हैं किन्तु विराम चिह्‍न के अलग-अलग स्थान में प्रयोग होने से इनके अर्थ में विरोधाभास उत्पन्‍न हो गया है । इस उदाहरण से हम विराम चिह्‍न के महत्‍त्व को समझ सकते हैं ।

बोलते समय हम कुछ शब्दों या वाक्यांश में थोड़ा रुकते हैं या विराम लेते हैं , जिससे हमारी बात दूसरे व्यक्ति को ठीक से समझ आ जाए । लिखते समय भी हमें यह स्पष्ट करना होता है । अत: लिखते समय इस रुकने के समय को दर्शाने के लिए विराम चिह्नों की सहायता ली जाती है ।

विराम का अर्थ है रुकना या ठहराव या विश्राम । लिखते समय विराम दर्शाने के लिए जिन विभिन्‍न चिह्‍नों की मदद ली जाती है , उन्हें ही विराम चिह्‍न कहा जाता है । अत: स्पष्ट है –

बोलते , पढ़ते या लिखते समय विभिन्‍न भावों को स्पष्ट करने के लिए रुकने की प्रक्रिया दर्शाने के लिए प्रयुक्त चिह्‍नों को विराम चिह्‍न कहते हैं ।

हिंदी या संस्कृत की मूल शैली में विराम चिह्नों का उपयोग नहीं किया जाता था । छंदों में यथा श्लोक या दोहा आदि में पूर्ण विराम का एक या दो बार प्रयोग किया जाता था। जैसे दोहे /श्लोक की प्रथम पंक्ति में के अंत में एक खड़ी रेखा और दूसरी पंक्ति के अंत में दो ख्ड़ी रेखाएं बनाने का प्रचलन था। बाद में अंग्रेजी के प्रभाव से अन्य विराम चिह्नों का उपयोग किया जाने लगा।

अहं रामस्य दासा ये तेषां दासस्य किङ्कर: ।

यदि स्यां सफलं जन्म मम भूयान्न संशय: ॥

श्री कामता प्रसाद गुरु भी विराम चिन्हों को अंग्रेजी से लिया हुआ मानते हैं। वे पूर्ण विराम को छोड़ शेष सभी विराम चिन्हों को अंग्रेजी से संबद्ध करते हैं।हिंदी भाषा में प्रयोग होने वाले विराम चिह्‍न नीचे तालिका में दिए गए हैं –

क्रम           विराम चिह्न नाम       विराम चिह्न
     1        अल्पविराम           (,)
      2       अर्द्धविराम           (;)
      3       पूर्ण विराम या विराम           (।)
      4      प्रश्नवाचक             (?)
       5     आश्चर्य या विस्मय सूचक            (!)
       6     निर्देशक चिन्ह / योजक चिन्ह /सामासिक चिन्ह            (-)
      7     कोष्ठक    [ ],  {  },  ( )  
      8     अवतरण/उद्धरण     (“”) (‘ ‘)
      9      उप विराम       (:)
    10      विवरण चिन्ह       ( :- )
    11       पुनरुक्ति सूचक चिन्ह       (”  ” )
    12        लाघव चिन्ह        (० )
     13      पद्लोप चिन्ह        ( … )
     14     पाद चिन्ह        ( – )
     15      दीर्घ उच्चारण चिन्ह         (ડ) 
     16       पाद बिंदु         (÷)
     17   विस्मरण चिन्ह या त्रुटिपूरक चिन्ह / हंसपद         ( ^  )
     18     टीका सूचक       (*, +, +, 2)
    19     तुल्यता सूचक       ( = )
     20      समाप्ति सूचक चिन्ह        (-0-, —) 

1. अल्प विराम : वाक्य में आए हुए एक ही प्रकार के पदों , पदबंधों अथवा उपवाक्यों को अलग करने के लिए अल्पविराम (,) चिह्न का प्रयोग किया जाता है । यथा-

शशि , शीतल ,शिखा और शीला सगी बहनें हैं। (पद)

राम ,सीता और लक्षमण वन को गए । (पद)

मोहन का छोटा भाई , बड़ा भाई और श्याम मंदिर गए ।(पदबंध)

2. अर्द्ध विराम :वाक्य में जहाँ पूर्ण विराम से कम और अल्प विराम से अधिक रुकना होता है वहाँ अर्द्ध विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है । यथा-

जैसे ही मुझे नौकरी मिलेगी ; आपका कर्ज़ चुकता कर दुँगा ।

सूर्यास्त हो गया; लालिमा का स्थान कालिमा ने ले लिया ।

सतत आगे बढ़ना ही जीवन है ; रुकना मृत्यु ।

3.पूर्णविराम ( । ) : इसका प्रयोग वाक्य के अंत में होता है । प्रश्‍नसूचक चिह्‍न और विस्म‍यादिबोधक वाक्यों के अतिरिक्त अन्य सभी वाक्यों के अंत में पूर्णविराम लगाया जाता है । इसके प्रयोग से वाक्य के समाप्ति की सूचना मिलती है । यथा-

राम घर चला गया।

तुम्हें मन लगा कर पढ़ना चाहिए ।

सरिता और रमेश विद्‍यालय गए ।

4. प्रश्नवाचक (?)  : जिन वाक्यों के द्‍वारा प्रश्‍न पूछा जाता है , उनके अंत में प्रश्नवाचक चिह्‍न का प्रयोग किया जाता है । यथा –

क्या तुम कल दिल्ली जाओगे ?

तुम कब वापस आओगे?

कौन हो तुम ?

5.आश्चर्य या विस्मय सूचक (!) : जिन वाक्यों से मन के भाव प्रकट होते है , उनकेअंत में आश्चर्य सूचक चिह्न लगाए जाते हैं । कभी-कभी विसमय सूचक शब्द के बाद भी इसका प्रयोग किया जाता है , तब अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है । यथा –

अरे! तुम कब आए ?

अहा!कितना सुंदर दृश्य है ।

ईश्वर आपकी यात्रा सफ़ल करे !

6.निर्देशक चिन्ह / योजक चिन्ह /सामासिक चिन्ह(-) : निदेशक चिह्‍न का प्रयोग किसी कथन से पूर्व होता है यथा –

गीता ने कहा – आज मैं बहुत खुश हूँ ।

सोहन – जाओ, अपने पिता की सेवा करो!

कभी -कभी जब कोई शब्द दोहराया जाता है अथवा शब्द युग्म हो ,तो भी योजक या सामासिक चिह्‍न का प्रयोग किया जाता है ।

माता- पिता , दिन -रात , सुबह-शाम

बार-बार , जल्दी-जल्दी , धीरे-धीरे

7.कोष्ठक चिह्न: कोष्ठक तब होता है जब किसी वाक्य में अतिरिक्त जानकारी जोड़ी जाती है जिसे आमतौर पर स्पष्टीकरण के रूप में या मुख्य खंड से संबंधित गैर-आवश्यक जानकारी के रूप में जोड़ा जाता है।

कोष्ठक का उपयोग विषय-विशिष्ट या जटिल शब्दावली को समझाने, अतिरिक्त जानकारी जोड़ने या अर्थ स्पष्ट करने के लिए किया जा सकता है।

उदाहरण: 1. नीली व्हेल दुनिया के सबसे विशाल प्राणी(स्तनपायी ) है।

2. माउंट एवरेस्ट (8,8828 मी.) दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत है।

3. दुर्वासा ने(क्रोध में) कहा-ं”मूर्ख कन्या ! जिसकी याद में तू खोई है वह तुझे भूल जाएगा।”

कई बार प्रश्न पूछते समय भी वैकल्पिक चुनाव हेतु शब्द,वाक्यांश कोष्ठक के भीतर लिखे जाते हैं-

सही शब्द कोष्ठक से चुनिए-

रास्ते के दोनों किनारों में …………. पंक्तिबद्ध खड़े थे। (लड़के/ लड़कियाँ )

8.अवतरण/उद्धरण (” ” / ’ ’) : किसी व्यक्ति के मूल कथन को उद्‍धृत करने के लिए अथवा जैसे का तैसा लिखने पर दोहरे अवतरण या उद्‍धरण चिह्‍न का प्रयोग किया जाता है । जैसे –

नेता जी ने कहा- ” तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दुँगा।”

महात्मा गाँधी ने कहा – “अंग्रेजो, भारत छोड़ो।” किसी के उपनाम , कविता , आलेख अथवा रचना के शीर्षक को उद्‍धृत करने के लिए इकहरे उद्‍धरण चिह्‍न का प्रयोग किया जाता है । जैसे –

अयोध्या सिंह उपाध्याय ’हरिऔंध’ , सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’

सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ कृत कविता ’ आराधना’ , हरिवंश राय ’बच्चन’ कृत ’मधुशाला’

9.उप विराम (colon)[:] जब किसी शब्द या वाक्यांश को अलग कर दर्शाना होता है तो वहाँ पर उपविराम का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण: दहेज प्रथा: एक सामाजिक कलंक

इंटरनेट: वरदान या अभिशाप

1942 : ए लव स्टोरी,

10.विवरण चिन्ह [:-]

विवरण चिह्न का प्रयोग वाक्यांश के संदर्भ में कुछ सूचक निर्देश आदि देने के लिए किया जाता है।

उदाहरण:

योग के लाभ:-

समास के भेद:-

संधि के भेद:-

11.पुनरुक्ति सूचक चिन्ह  (,,)जब ऊपर लिखी बात को ज्यों का त्यों नीचे लिखना हो तो उसके नीचे पुन: वही शब्द न लिखकर इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।

श्री अर्जुन लाल
,, रामचंद्र गुहा
,, सतीश शर्मा

12.लाघव चिन्ह  (० ) जब किसी शब्द या वाक्य का संक्षिप्त रूप लिखना हो तो लाघव चिह्न (०) का प्रयोग किया जाता हैं। जैसे-

डा० सुधा मेनन

इंजी० आशुतोष नायक

कृ०प० प०

प० जवाहर लाल नेहरू

13.पलोप चिन्ह (……) जब वाक्य या अनुच्छेद में कुछ अंश छोड़ कर लिखना हो तो लोप चिह्न (…) का प्रयोग किया जाता है। जैसे किसी पद या दोहे के पूरे भाग को न लिख कर मात्र कुछ भाग लिखना हो तो लोप चिन्ह  का प्रयोग किया जाता है।

जब वाक्य या अनुच्छेद में कुछ अंश छोड़ कर लिखना हो तो लोप चिह्न (…) का प्रयोग किया जाता है।

जैसे –

कमल ने अनमोल को गाली दी ……।

मैं तुम्हारे साथ तो चलता पर…..।

रहिमन पानी राखिए……………………………………मोती, मानुष,चून॥

मधुलिका, कविता आदि नाम संज्ञा हैं।

15.दीर्घ उच्चारण चिन्ह(ડ) जब किसी वाक्य में किसी वर्ण विशेष के उच्चारण में दूसरे शब्दों की अपेक्षा अधिक समय लगता है तब वहाँ दीर्घ उच्चारण चिन्ह का प्रयोग करते हैं।

छंद में दीर्घ मात्रा (का, की, कू, के, के, को, को) एवं लघु मात्रा (क. कि. कु.) को दर्शान हेतु इनका प्रयोग किया

जाता है, जैस-

देखत भृगुपति बेषु कराला।

ડ । । । । । । ડ। ।ડ ડ

16.पाद बिंदु (÷)

हिंदी अरबी ,फारसी से आये शब्दों के नीचे लगने वाला चिह्न या नुक्ता | 

उदाहरण — फ़तवा, मज़दूर, ताज़ा,क़ाग़ज़ ,

17.विस्मरण चिन्ह या त्रुटिपूरक चिन्ह / हंसपद (^)

वाक्य लिखते समय यदि कोई पद छूट जाए तो उसे लिखने के लिए  जिस चिह्न  (^) का प्रयोग किया जाता है उसे विस्मरण चिन्ह या त्रुटिपूरक चिन्ह अथवा हंसपद कहते हैं। 

18. टीका सूचक/तारक चिह्न (*, +, +, 2)

तारक चिह्न /टीका सूचक चिह्न पाद टिप्पणी देने में लगाये जाते है | यदि किसी लेख या पुस्तक में किसी शब्द के विषय में कोई सूचना देनी होती है तो उस शब्द के साथ कोई एक चिह्न बना देते है और उसके सम्बंध में पृष्ठ के नीचे फुट नोट के रूप में लिखते है । इसका प्रयोग संस्कृत के जटिल पदों की टीका/ सरलीकरण अथवा व्याकरणों में ज्यादा देखने को मिलता है |

19. तुल्यता सूचक(=)

समानता सुचित करने के लिए तुल्यता सूचक चिह्न का प्रयोग होता है। संधि , समास या किसी शब्द का समान अर्थ प्रकट करने हेतु तुल्यता या समतामूलक शब्द का प्रयोग करते हैं, जैसे-

ब्रह्म मुहूर्त= सूर्योदय से पहले के 48 मिनट का समय

किंकर्तव्यविमूढ़ = क्या करूँ या न करूँ  की मानसिक स्थिति होना।

राजमहल=राजा का महल

दशानन= रावण

20. समाप्ति सूचक चिन्ह (0, —X

इसका उपयोग लेख , निबंध , कहानी, प्रश्नपत्र आदि के समापन पर किया जाता है। यह सूचित करते हैं कि लेख , निबंध , कहानी, प्रश्नपत्र आदि समाप्त हो चुका है।

—X

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